क्या है रिश्ता इश्क का हया से
हया जो इश्क की कुछ नहीं लगती
क्यूँ बावरी है
चल रही है राह पे उसकी
क्यूँ बावरी है
चल रही है राह पे उसकी
जिस दिन इश्क ने
हया का माथा चूम लिया
उस दिन से आँखों की टहनी पे
अश्कों के फल नहीं लगते
हया का माथा चूम लिया
उस दिन से आँखों की टहनी पे
अश्कों के फल नहीं लगते
उस दिन से ख़्वाबों का
खारापन गया
खारापन गया
उस दिन से महक रही है
यादों की संदल
और हया मदहोश है
यादों की संदल
और हया मदहोश है
पगली ये जानती है
ये अकीदत जान ले के जायेगी
मगर फिर भी
ये अकीदत जान ले के जायेगी
मगर फिर भी
चिराग बुझने से पहले
जो एक पल जी भर के जीता है
वही एक पल मिला है
अब हया को
इसमें जान भी जाए
तो येः सौदा सस्ता..!!
जो एक पल जी भर के जीता है
वही एक पल मिला है
अब हया को
इसमें जान भी जाए
तो येः सौदा सस्ता..!!
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