Monday, September 27, 2010

कहानी इश्क और हया की.. भाग दो.


क्या है रिश्ता इश्क का हया से
हया जो इश्क की कुछ नहीं लगती
क्यूँ बावरी है
चल रही है राह पे उसकी
जिस दिन इश्क ने
हया का माथा चूम लिया
उस दिन से आँखों की टहनी पे
अश्कों के फल नहीं लगते
उस दिन से ख़्वाबों का
खारापन गया
उस दिन से महक रही है
यादों की संदल
और हया मदहोश है
पगली ये जानती है
ये अकीदत जान ले के जायेगी
मगर फिर भी
चिराग बुझने से पहले
जो एक पल जी भर के जीता है
वही एक पल मिला है
अब हया को
इसमें जान भी जाए
तो येः सौदा सस्ता..!!
..

15 comments:

  1. yeh to khubsurat sa rishta hai....
    bahut khub....

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  2. क्या रवानी है...
    पढ़ते पढ़ते बहने लगता है पाठक..
    एकदम हया की तरह...


    मानो यही एक पल मिला हो जीने के लिए..

    बहुत खूब गुडिया..

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  3. लिल्लाह!
    खूबसूरत बयानी!
    रुक क्यों गयीं? कहती रहतीं!
    आशीष
    --
    प्रायश्चित

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  4. Bahut -2 khubsurat ,
    kai baar padhakar bi dil nahi bhara.
    thanx for post it.

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  5. बहुत सुंदर रिश्ता है हया और इश्क का .....आप का ब्लॉग भी बहुत सुंदर है .....

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  6. kya baat hai... bahut hi sunder ji.
    likhate rahiye ..... subhkamnaye.

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  7. इश्क और हया की बहुत सुंदर कहानी है.........

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  8. deepali ji,
    behad khoobsurat rachna aur utna hi khoobsurat blog..kafi arse baad apse sampark ho paya hai..ab aapki nazmon aur gazalon ki kami poori ho jayegi..
    mere blog ko follow karne ke liye bahut bahut shukriya.

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  9. उस दिन से आँखों की टहनी पे
    अश्कों के फल नहीं लगते
    उस दिन से ख़्वाबों का
    खारापन गया

    लाजवाब कहानी है हया और इश्क की .....
    बिलकुल नई सी ...सलोनी सी ...
    छुईमुई सी ....नाजुक सी ...
    प्यारी नज़्म ....

    कुछ नया भी डालें ....

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  10. waah...ek arse baad pahdi koi aisi nazm jo dil men utar gai..bahut bahut khoob.

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  11. "उस दिन से आँखों की टहनी पे
    अश्कों के फल नहीं लगते"

    अति सुंदर

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